राजस्थान विधानसभा ने सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में गुर्जर व चार अन्य जातियों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने का विधेयक बुधवार को पारित कर दिया, लेकिन इससे गुर्जर संतुष्ट नहीं हैं। सवाई माधोपुर के मलारना डूंगर में ट्रैक पर डेरा डाले राजस्थान गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के नेताओं का कहना है कि जब तक विधिवत रूप से आरक्षण नहीं मिल जाता, आंदोलन खत्म नहीं होगा। इस बीच गुर्जर छठे दिन भी दिल्ली-मुंबई मार्ग की रेल की पटरियों और सड़कों पर जमे रहे। वहीं, सीकर में गुर्जर समुदाय ने उग्र प्रदर्शन किया। इसके साथ ही गुर्जरों ने एक और ट्रैक रोक दिया। कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार ने बुधवार को विधेयक विधानसभा में पेश किया। इसमें गुर्जर, बंजारा, गड़रिया लोहार, रैकास व गड़रिया समुदायों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है। इससे अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण मौजूदा 21 प्रतिशत से बढ़कर 26 प्रतिशत हो जाएगा।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने निर्णय किया है कि हम अति पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को 1 प्रतिशत के स्थान पर 5 प्रतिशत करेंगे। 9वीं अनुसूची में डालने का संकल्प राज्य विधानसभा में पारित करने के साथ ही हम केंद्र सरकार से भी आग्रह करेंगे कि जैसे उन्होंने 10 प्रतिशत आरक्षण को संविधान संशोधन करने के बाद लागू किया है, उसी तर्ज पर इस विधेयक को भी लागू करने में मदद करेंगे। श्री पायलट ने सभी विधायकों से अपील की कि पूरा सदन, सभी दल और 200 विधायक सर्व सम्मति से इस बात को कहें कि वे इसके पक्ष में कानून में परिवर्तन चाहते हैं। सरकार संदेश देना चाहती है कि यह जन प्रतिनिधियों का फैसला है। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने दिन-रात मेहनत करके विधेयक तैयार किया है। यह राजनीतिक मुद्दा नहीं, मानवीय मुद्दा है। उन्होंने कहा कि इस बार विशेष परिस्थितियां हैं। न्यायाधिपति (से.नि.) सुनील कुमार गर्ग और न्यायाधिपति (से.नि.) श्री इन्द्रसेन इसरानी की कमेटी की फाइंडिग्स हैं और केन्द्र सरकार के नए घटनाक्रम के कारण इस आरक्षण के लिए रास्ता खुला है।