राजस्थान जाट महासभा अध्यक्ष राजाराम मील ने मुख़्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर जजों की नियुक्ति में “परिवारवाद” और “भाई भतीजावाद” का जिक्र करते हुए राज्य सरकार से SC , ST और OBC समाज को भी बराबर प्रतिनिधित्व देने की बात कही है. राजाराम मील ने कहा है कि वर्तमान में 10-12 परिवारों एवं उनके रिश्तेदार ही सामन्यतया जज बनाये जा रहे हैं जो विशेष तौर से 2 उच्च जातियों से ही सम्बन्ध रखते हैं, समाचार पत्रों के हवाले से उन्होंने कहा है कि राजस्थान हाई कोर्ट की सूची में एससी/एसटी और ओबीसी समुदाय का प्रतिनिधिनित्व ना के बराबर है. लिस्ट में अग्रणी 2 जातियों के उम्मीदवारों की भरभार है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में चल रही नियुक्तियों पर सुनिश्चित करें के योग्यता एवं सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व हो.
पूर्व में भी जजों की नियुक्ति में “परिवारवाद” और “भाई भतीजावाद” का आरोप लगता रहा है, जुलाई 2020 में भी इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जजों की नियुक्ति करने वाली कॉलेजियम प्रणाली में भाई-भतीजावाद और जातिवाद का आरोप लगाया था. बार एंड बेंच के अनुसार, एक जुलाई को लिखे पत्र में पांडेय ने आरोप लगाया कि इस सिस्टम में भेदभाव, अपारदर्शिता और पक्षपात होता है. इसके बाद एक न्यायिक अधिकारी के रूप में अपने 34 सालों के अनुभव पर बात की. उन्होंने दावा किया कि कॉलेजियम सिस्टम के माध्यम से जजों की नियुक्ति केवल जातिवाद और भाई-भतीजावाद के आधार पर होती है.