अमेरिका में अडानी ग्रुप के चेयरमैन उद्योगपति गौतम अडानी समेत 8 लोगों पर अरबों रुपए की धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं। यूनाइटेड स्टेट्स अटॉर्नी ऑफिस ने अडानी पर भारत में सोलर एनर्जी से जुड़ा कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 265 मिलियन डॉलर (2200 करोड़ रुपए से ज्यादा) की रिश्वत देने का आरोप लगाया है। रिश्वतखोरी के आरोपों के बाद अडानी समूह और शेयर मार्किट में निवेशकों के एक दिन में 5.35 लाख करोड़ डूब गए. अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय, पूर्वी जिला न्यूयॉर्क द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, “इस अभियोग में भारतीय सरकारी अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर से अधिक की रिश्वत देने, अरबों डॉलर जुटाने के लिए निवेशकों और बैंकों से झूठ बोलने और न्याय में बाधा डालने की योजना का आरोप लगाया गया है.”
सरकारी स्वामित्व वाली भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI) द्वारा 2019 में जारी एक नया टेंडर अमेरिकी कोर्ट में अभियोग का केंद्रबिंदु है, जिसमें अडानी समूह के अध्यक्ष और उनके सहयोगियों पर भारतीय सरकारी अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर से अधिक की रिश्वत देने का आरोप लगाया गया है. मेनुफैक्चिरंग से जुड़ा ये सौर टेंडर को आखिरकार अडानी ग्रीन एनर्जी और एज़्योर पावर को दिया गया.
क्या है पूरा मामला?
US अटॉर्नी ऑफिस ने आरोप में कहा कि अडानी ने अपनी कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी को सोलर एनर्जी से जुड़े प्रोजेक्ट्स और कॉन्ट्रैक्ट दिलाने के लिए भारतीय अधिकायों को 2100 करोड़ रुपए से ज्यादा की रिश्वत दी है। उन्होंने इस बात को उन अमेरिकी बैंकों और इंवेस्टर्स छिपाया, जिनसे अडानी ग्रुप ने इस प्रोजेक्ट के लिए अरबों डॉलर जुटाए थे। अमेरिकी प्रोसिक्यूटर्स का दावा है कि कंपनी के दूसरे सीनियर अधिकारियों ने कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को पैसा देने पर सहमति जताई थी। साल 2021 में बॉन्ड ऑफर कर अमेरिका के अलावा दूसरे इंटरनैशनल इंवेस्टर्स और अमेरिका के बैंकों से फंड जुटाया। अमेरिकी कानून अपने निवेशकों या बाजारों से जुड़े विदेशों में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच को आगे बढ़ाने की अनुमति देता है। चूंकि, प्रोजेक्ट में अमेरिका के इन्वेस्टर्स का पैसा लगा था और अमेरिकी कानून के तहत उस पैसे को रिश्वत के रूप में देना अपराध है, इसलिए अमेरिका में मामला इसलिए दर्ज हुआ।