भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा की सदस्यता निरस्त कर दी गई है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के द्वारा हाई कोर्ट में ‘कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट’ की अर्जी पेश करने के बाद आखिरकार भाजपा के सजायाफ्ता विधायक कंवर लाल की सदस्यता रद्द हुई। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मीणा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 7 मई को इस याचिका को खारिज करते हुए कंवरलाल मीणा को कोर्ट में सरेंडर करने के आदेश दे दिए थे। बुधवार को मीणा ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था । वहीं कांग्रेस आज इसी मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट पहुंच गई। कांग्रेस का आरोप था की विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी इस मामले में पक्षपात कर रहे हैं । इसलिए मीणा की बर्खास्तगी को लेकर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने आज जयपुर राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, जिस पर आने वाले बुधवार को सुनवाई होनी थी। गौरतलब है कि मीणा ने वर्ष 2005 में झालावाड़ के मनोहर थाना क्षेत्र में उपसरपंच चुनाव के बाद पुनर्मतदान की मांग को लेकर एसडीएम पर पिस्तौल तान दी थी।

कांग्रेस ने लिखा था कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद भी स्पीकर ने कंवरलाल मीणा की सदस्यता समाप्त नहीं की है। साथ ही लिखा था कि कांग्रेस के बार-बार आग्रह करने के बाद भी स्पीकर ने इस मामले पर निर्णय नहीं लिया। ज्ञापन में कहा गया कि विधानसभा की गरिमा बचाने के लिए उन्हें कंवरलाल मीणा की सदस्यता को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर देना चाहिए। राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘सत्यमेव जयते कांग्रेस पार्टी के भारी दबाव एवं नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली जी के द्वारा हाई कोर्ट में ‘कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट’ की अर्जी पेश करने के बाद आखिरकार भाजपा के सजायाफ्ता विधायक कंवर लाल की सदस्यता रद्द करनी पड़ी. लोकतांत्रिक व्यवस्था में संविधान सर्वोपरि है. कांग्रेस पार्टी यह बात बार-बार RSS-BJP के नेताओं बताती रहेगी और उन्हें मज़बूर करेगी वो संविधान के मुताबिक काम करें’।

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