जयपुर, 20 मई। राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे ने कहा है कि विश्वविद्यालय में जिस वर्ष विद्यार्थी की शिक्षा पूरी हो, उसी साल दीक्षांत समारोह आयोजित किया जाए। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को समय पर डिग्री मिले, इसके लिए सभी स्तरों पर प्रयास किए जाएं। उन्होंने चिकित्सकीय शिक्षा में इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाए कि विद्यार्थी की बौद्धिक क्षमता बढ़े। समाज को अच्छे और प्रतिभाशाली डॉक्टर मिले। उन्होंने चिकित्सा शिक्षा में मौलिक शोध और अनुसन्धान पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि राजस्थान विश्वविद्यालय देश विदेश के दूसरे विश्वविद्यालयों से कॉलोबोरेशन कर इस क्षेत्र के नए ज्ञान के आदान प्रदान का संवाहक बने।
राज्यपाल श्री बागडे मंगलवार को बिड़ला सभागार में राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के दशम दीक्षांत समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी की बौद्धिक क्षमता और ध्यानाकर्षण कितना है, इसके लिए क्या क्या पढ़ा और उसमें क्या ध्यान में रखा इस पर विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने कहा कि बौद्धिक क्षमता की जांच के लिए कोई मशीन नहीं बनी पर नकल की बजाय अकल से जो ज्ञान में सफलता प्राप्त करे वहीं बौद्धिक रूप में सशक्त है।

राज्यपाल ने कहा कि प्राचीन काल में विश्व में केवल छह यूनिवर्सिटी थी तब भी भारत में दो विश्वविद्यालय थे। यहां पर विश्वभर के छात्र छात्राएं पढ़ने आते थे। उन्होंने नालन्दा विश्वविद्यालय और वहां के आयुर्वेद के ज्ञान की चर्चा करते हुए कहा कि बख्तियार खिलजी को नालंदा के वैद्य ने ठीक किया पर उसने वहां के पुस्तकालय को जला दिया। उन्होंने भारत द्वारा संसार को जीरो के ज्ञान को दिए जाने की चर्चा करते हुए कहा कि इसी से आगे की संख्या से विश्व जुड़ सका। उन्होंने भास्कराचार्य द्वारा गुरुत्वाकर्षण ज्ञान और आर्यभट्ट के संख्या ज्ञान के आलोक में भारत की प्राचीन शिक्षा से आधुनिक ज्ञान को दिशा दिए जाने का आह्वान किया।

श्री बागडे ने देश की पहली महिला चिकित्सक के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 1886 में परीक्षा पास कर देश की पहली महिला डॉक्टर आनंदी गोपाल जोशी ने इस क्षेत्र में महिलाओं को प्रेरणा दी। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय देश, विदेश के दूसरे विश्वविद्यालय से कॉलोब्रेशन करके शोध और अनुसन्धान में महती कार्य करे। उन्होंने कहा कि इससे चिकित्सकीय ज्ञान का प्रभावी रूप में आदान प्रदान हो सकेगा। उन्होंने कहा कि ऐसा ज्ञान ही विद्यार्थी के अधिक ध्यान में रहता है। इससे एकरसता से भी विद्यार्थी मुक्त होता है। उन्होंने चिकित्सको को संयम रख रोग निदान को अपना सर्वोपरि ध्येय रखने का आह्वान किया। राज्यपाल ने कहा कि भारतीय परिप्रेक्ष्य में चिकित्सा और औषधि शास्त्र एक दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने कम से कम दवा से रोग निदान की मानसिकता के लिए कार्य करने पर जोर दिया।

राज्यपाल ने इस अवसर पर “नेशनल अकादमिक डिपोजिटरी पोर्टल” का बटन दबाकर डिजिटल शुभारंभ किया। इसमें राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा योग्य अभ्यर्थियों के शैक्षणिक रिकॉर्ड को डिजिटलाइज्ड किया जाएगा। इससे पहले उन्होंने डॉ. विश्व मोहन कटोच को बायोमेडिकल रिसर्च में अप्रतिम योगदान के लिए “डॉक्टर ऑफ साइंस- मेडिसिन” की मानद उपाधि प्रदान की। उन्होंने मेडिसिन, दंत, फार्मेसी, नर्सिंग, फिजियोथैरेपी एवं ऑक्यूपेशनल, पैरामेडिकल संकाय के विद्यार्थियों को पदक एवं उपाधियां प्रदान की। पीएसआरआई हार्ट इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली के अध्यक्ष एवं पूर्व आचार्य और विभागाध्यक्ष, कार्डियोलॉजी विभाग, एम्स, नई दिल्ली डा. के.के. तलवार ने दीक्षांत व्याख्यान प्रदान किया। कुलगुरु प्रो. (डॉ.) प्रमोद येवले ने विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

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