जयपुर, 28 अप्रेल। वैदिक कालीन पौराणीक सरस्वती नदी जो कि अब लुप्त है को पुनर्जीवित करने के क्रम में सरस्वती हेरिटेज बोर्ड हरियाणा के पदाधिकारियों, विषय वस्तु विशेषज्ञों व वैज्ञानिकों के साथ बिरला विज्ञान अनुसंधान, जयपुर में एक बैठक का आयोजन हुआ जिसमें प्रदेश के जल संसाधन मंत्री, श्री सुरेश रावत शामिल हुए और सरस्वती बोर्ड हरियाणा के डिप्टी चेयरमैन श्री धूमन सिंह कीरमिच व बिरला विज्ञान अनुसंधान संस्थान, जयपुर के सुदूर संवेदन विभाग प्रमुख डॉ0 महावीर पूनिया एवं जल संसाधन विभाग राजस्थान के मुख्य अभियन्ता श्री भुवन भास्कर उपस्थित रहे। इसके साथ ही इसरो के रिटायर्ड डायरेक्टर डॉ जे आर शर्मा और डॉ0 बी के भद्रा ने भी बैठक में वीसी के माध्यम से जुड़कर अपने अनुभव एवं विचार साझा किये।

सरस्वती हेरिटेज बोर्ड, हरियाणा के डिप्टी चेयरमैन श्री धूमन सिंह कीरमिच द्वारा हरियाणा में वैदिक सरस्वती नदी के पुनर्जीवन पर किये गये कार्यों का उल्लेख किया तथा इस बाबत् प्रजेन्टेंशन भी प्रस्तुत किया। जल संसाधन मंत्री द्वारा बैठक में अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि सरस्वती नदी राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में भूमीगत रूप से युगों से बह रही है। इस लुप्त प्राय नदी का लाभ राज्य के पश्चिमी क्षैत्र के किसानों को मिल सके इसके लिये मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के मार्गदर्शन में इस नदी को धरातल पर लाने का कार्य हरियाणा राज्य के साथ प्रारम्भ किया गया है। श्री सुरेश रावत, जल संसाधन मंत्री द्वारा यह भी बताया गया कि हरियाणा सरकार द्वारा भी इस प्रोजेक्ट को धरातल पर लाने हेतु आवश्यक प्रयास किये जा रहे है। जिससे राजस्थान के सुखे क्षेत्र को हराभरा बनाने में बहुत बड़ा योगदान हो सकता है।

बैठक में मुख्य बिन्दुओं पर चर्चा हुई राज्य को प्राप्त होने वाले किसी भी अन्तर्रराज्यीय जल को लेकर राज्य सरकार सदैव सजग है। इसी क्रम में विलुप्त हुई सरस्वती नदी को पुर्नजीवित करने का कार्य भी राज्य सरकार द्वारा हाथ में लिया जा चुका है। राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में राइजिंग राजस्थान कार्यक्रम के दौरान 09 दिसंबर 2024 को राजस्थान सरकार के जल संसाधन विभाग और डेनमार्क दूतावास के बीच एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता सरस्वती पुराप्रवाह (पेलियोचैनल्स) के पुर्नरुद्धार पर सहयोग से संबंधित हैं। जो राजस्थान के जल सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता के लक्ष्यों में योगदान देगा। इसके अतिरिक्त डेनमार्क दूतावास के प्रतिनिधियों के साथ आगामी 29 अप्रेल को एक बैठक आयोजित की जा रही है। इस महत्वपूर्ण सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए केंद्रीय और राज्य भूजल विभाग को शामिल करने का अनुरोध किया। CAZRI जोधपुर और IIT BHU ने इस परियोजना में भाग लेने की सहमति दे दी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *